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(३६) मनःसंयम, एकाग्रता और दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत है।
आज के युवा वर्ग में देखा जाता है, प्रायः इच्छा शक्ति का अभाव है, न उसमें मानसिक संयम है, न एकाग्रता और न इच्छा शक्ति और यही कारण है कि आज का युवक दीन-हीन बनकर भटक रहा है । जीवन में निराशा और कुण्ठा का शिकार हो रहा है । असफलता की चोट खाकर अनेक युवक आत्महत्या कर लेते हैं, तो अनेक युवक असमय में ही बुड्ढे हो जाते हैं, या मौत के मुँह में चले जाते हैं।
मैं अपने युवा बन्धुओं से कहना चाहता हूँ, वे जागें, उठे-उत्तिष्ठत ! जाग्रत ! प्राप्य वरान्, निबोधत । स्वयं उठे, अपनी शक्तियों को जगायें और दूसरे साथियों को भी उत्साहित करें, जीवन लक्ष्य को प्राप्त करें, मन की शक्तियों को केन्द्रित करें, आत्मा को बलवान बनायें- नायमात्मा बलहीनेन लभ्यः' यह आत्मा या समझिए,