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440... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
वज श्री मुद्रा
होने पर उनसे लड़ने की क्षमता का निर्माण करती है। • प्रजनन ग्रन्थि के स्राव का संतुलन करते हुए यह मुद्रा प्रजनन कार्य में सहायक बनती है। जननेन्द्रिय सम्बन्धी विकारों को दूर करती है। बालों के बढ़ने,स्वर सुधारने एवं शरीर के तापक्रम को सुधारने में सहायक बनती है। 109. वर काय समय मुद्रा
धार्मिक क्रियाओं से सन्दर्भित प्रस्तुत मुद्रा का वर्णन पूर्ववत समझना चाहिए। विधि
हथेलियों को मध्यभाग में रखें, फिर दायां अंगूठा बायें पर क्रॉस करता हुआ रहें, तर्जनी ऊपर उठी हुई और हल्की सी मुड़ी हुई रहें, मध्यमा अग्रभाग पर स्पर्श करती हुई तथा अनामिका और कनिष्ठिका अग्रभाग पर अन्तर्ग्रथित रहने पर 'वर काय समय' मुद्रा बनती है।131