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432... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
बढ़ाती है और व्यक्तित्व बोध करवाती है। भावनात्मक अस्थिरता, क्रोध आदि को दूर करती है। • तैजस एवं शक्ति केन्द्र ऊर्जा का स्रोत और पाचन क्रिया के समग्र रसों एवं स्रावों का मूलभूत आधार है। इनसे ऊर्जा का ऊर्ध्वकरण एवं साधना में निखार आता है।
103. वैश्रवण मुद्रा
वैश्रवण का एक अर्थ है कुबेर । कुबेर को धन का देवता माना जाता है। इस के द्वारा उस देव को संतुष्ट कर बाह्य धन की कामना को पूर्ण किया
मुद्रा जाता है।
विधि
हथेलियाँ मध्य भाग में स्पर्श करती हुई, अंगूठा और तर्जनी ऊपर उठी हुई, अंगूठों की बाह्य किनारियाँ मिली हुई, मध्यमा और अनामिका अग्रभाग पर स्पर्श करती हुई तथा कनिष्ठिका हथेली में मुड़ी हुई रहने पर वैश्रवण मुद्रा बनती है।122
वैभवण मुद्रा