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426... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
• इस मुद्रा का प्रयोग शरीरस्थ अग्नि तत्त्व को संतुलित करते हुए शक्ति प्रदान करती है, स्नायुतंत्र की स्थिति स्थापकता बनाए रखती है और विचार शक्ति में सहायक बनती हैं। बेहोशी, दृष्टि-विकार, एसिडिटी आदि तकलीफों को दूर करती हैं। • मणिपुर चक्र को प्रभावित कर यह मुद्रा मनोविकारों को घटाती है। संकल्प बल का जागरण एवं परमार्थ कार्य में वृद्धि करती है। पाचन क्रिया का नियमन करती है तथा शक्तियों के ऊर्ध्वगमन में सहायक बनती है। • एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज के स्राव को संतुलित कर यह मुद्रा संचार व्यवस्था, हलन-चलन, श्वसन, रक्त परिभ्रमण, अनावश्यक पदार्थों के निष्कासन, तनाव नियंत्रण में विशेष सहायक बनती है। 99. त्रिशूल मुद्रा
यह मुद्रा अनेक रूपों में प्राप्त होती है, जिनमें भिन्न-भिन्न दो स्थितियाँ जापानी बौद्ध परम्परा के धार्मिक क्रियाओं में अपनायी जाती है। शेष वर्णन पूर्ववत।
त्रिशूल मुद्रा-1