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424... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
बौद्ध परम्परा में धारण की जाती है। यह धर्मचक्र मुद्रा का ही प्रकारान्तर होने से धर्मचक्र की गति एवं प्रवर्त्तन की सूचक है ।
विधि
दायीं हथेली बाहर की तरफ अभिमुख और बायीं हथेली ऊर्ध्वाभिमुख रहें, अंगूठे और तर्जनी के अग्रभाग स्पर्श करें, शेष अंगुलियाँ फैली हुई रहें। तत्पश्चात उभय हाथों को इस प्रकार सेट करें कि वह धर्मचक्र मुद्रा का प्रकारान्तर दिखने लगे, तब तेम्बौरिन् मुद्रा बनती है । 11
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तेम्बीरिन्-इन् मुद्रा
सुपरिणाम
• तैम्बोरिन्-इन् मुद्रा जल एवं वायु तत्त्व संतुलित करते हुए शरीर एवं जीवन प्रवाह को सुरक्षित रखती है । शरीर का तापक्रम एवं रुधिर आदि की कार्य पद्धति को नियमित रखती है। • स्वाधिष्ठान एवं अनाहत चक्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा हृदय क्षेत्र को ऊर्जा प्रदान करती है। कलात्मक उमंगें, रसानुभूति एवं कोमल संवेदनाओं को उत्पन्न करती है। • स्वास्थ्य एवं आनंद