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418... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन आदि गुणों में वृद्धि करती है। • यह मुद्रा स्वास्थ्य एवं आनंद केन्द्र को संतुलित करते हुए शारीरिक ऊर्जा एवं जैविक विद्युत का संचय करती है। काम वासना का परिशोधन करते हुए बाह्य जगत से आन्तरिक जगत में प्रवेश करवाती है। • प्रजनन एवं थायमस ग्रन्थि के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा बालकों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक बनती है तथा मासिक धर्म एवं काम ग्रन्थियों के संतुलन में सहयोग करती है। 92. स्थिराबोधि मुद्रा
यह मुद्रा अपने नाम के अनुरूप स्थायी बोध को प्राप्त करवाती है अत: इसका नाम स्थिराबोधि है। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि
दोनों हाथों को समीप कर अंगूठों को ऊपर फैलायें, तर्जनी को भी ऊर्ध्व प्रसरित रखें तथा शेष अंगुलियों को अन्दर की तरफ अन्तर्ग्रथित करने पर स्थिराबोधि मुद्रा बनती है।110
स्थिराबोधि मुद्रा