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400... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन 77. पोथी मुद्रा
यह मुद्रा जापान में मा-नो-चो-जो-इन् मुद्रा और भारत में पोथी मुद्रा एवं त्रिपिटक मुद्रा के नाम से कही जाती है। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि
ऊर्ध्वाभिमुख बायीं हथेली के ऊपर दायीं हथेली को रखना पोथी मुद्रा कहलाता है। यह मुद्रा गोद में धारण की जाती है।92 .
पोथी मुद्रा सुपरिणाम ___ • पोथी मुद्रा पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व में संतुलन स्थापित करती है। इससे शरीर-नाड़ी शोधन, पेट के अवयवों का क्षमता वर्धन, हृदय शक्तिशाली एवं अनहद आनंद की अनुभूति होती है। . मूलाधार एवं आज्ञा चक्र को जागृत कर यह मुद्रा चित्त को शान्त करती है तथा बुद्धि को एकाग्र एवं शीघ्रग्राही बनाती है। • गोनाड्स एवं पिनियल को प्रभावित कर यह मुद्रा शेष ग्रंथियों के संतुलन में सहायक बनती है। हस्तदोष, स्वप्न दोष, मासिक धर्म, स्त्रित्व एवं यौन सम्बन्धी समस्याओं का निवारण करती है।