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390... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन निवारण करती है। • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार शर्करा, पाचन संस्थान, रक्तचाप, रक्त परिभ्रमण, एसिडिटी आदि का संतुलन करती है। 69. मु-नो-शौ-शु-गौ-इन् मुद्रा
जापानी बौद्ध परम्परा एवं होमादि धार्मिक क्रियाओं से सम्बन्धित यह मुद्रा पापियों के बुराईयों के नाश की सूचक है। शेष वर्णन पूर्ववत।
विधि
___बायीं हथेली बाहर की तरफ, अंगूठा भीतर मुड़ा हुआ, मध्यमा और अनामिका अंगूठे के ऊपर मुड़ी हुई, तर्जनी और कनिष्ठिका प्रथम दो जोड़ पर मुड़ी हई एवं तीसरा पोर सीधा रहें। दायाँ. अंगूठा हथेली के भीतर, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका अंगूठे के ऊपर मुड़ी हुई तथा तर्जनी बाहर फैलती हुई बायें हाथ को इंगित करें तब उपर्युक्त मुद्रा बनती है।82
मु-नो-सी-शु-गौ-इन् मुद्रा | सुपरिणाम
• इस मुद्रा का प्रयोग करने से शरीरस्थ आकाश तत्त्व नियंत्रित रहता है। यह हृदय रोग एवं तत्सम्बन्धी विकारों को दूर करती है और मन में अनहद आनंद की अनुभूति करवाती है। • सहस्रार एवं आज्ञा चक्र को जागृत कर यह