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388... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
सुपरिणाम
• वायु एवं आकाश तत्त्व का संतुलन कर यह मुद्रा रुधिर अभिसंचरण, श्वसन क्रिया, मल-मूत्र की सम्यक गति में मदद करती है और हार्ट अटैक, लकवा, मूर्च्छा आदि रोगों का शमन करती है। • इस मुद्रा को धारण करने से अनाहत एवं सहस्रार चक्र प्रभावित होते है। आनंद एवं ज्ञान केन्द्र का जागरण कर यह मुद्रा कामवासनाओं का परिशोधन एवं अतिन्द्रिय ज्ञान का जागरण करती है।
67. महाकाल मुद्रा
यह मुद्रा महाकाल की सूचक है। शेष वर्णन पूर्ववत ।
विधि
इस मुद्रा में हथेलियाँ मध्य भाग में, अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा अन्दर की तरफ अन्तर्ग्रथित तथा अनामिका और कनिष्ठिका सीधी रहती है | 80
નાગા વા