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354... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
ह-शी-इन् मुद्रा-1
सुपरिणाम
• जल एवं आकाश तत्त्व का संतुलन कर यह मुद्रा हृदय को स्वस्थ बनाती है। रक्त विकारों को दूर करते हुए वीर्य, लसिका, मल-मूत्र, पसीना, कफ आदि को संतुलित रखती है।
. स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र को जागृत कर यह पेट के पर्दे के नीचे स्थित सभी अवयवों के कार्यों का नियमन करती है। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास करते हुए एकाग्रता बढ़ाती है। __• स्वास्थ्य एवं दर्शन केन्द्र को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा शारीरिक ऊर्जा एवं जैविक विद्युत का संचय करती है। शरीर, मन और भावनाओं को स्वस्थ बनाती है तथा कषाय नियंत्रण, कामवृत्तियों पर अनुशासन करते हुए अपूर्व आनंद की प्राप्ति करवाती है।