________________
गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...349
गे-इन् मुद्रा-4 • इस मुद्रा का प्रयोग मणिपुर एवं अनाहत चक्र को प्रभावित करते हुए अग्नि तत्त्व एवं पाचन तन्त्र की ऊर्जा को बढ़ाता है। तनाव नियंत्रण कर कार्य क्षमता का वर्धन करता है। हृदय में सद्भावों का प्रस्फुटन करता है और बालकों का चारित्रिक विकास करता है।
• तैजस एवं आनंद केन्द्र को सक्रिय करते हुए क्रोध आदि पर नियंत्रण कर वृत्तियों को शांत एवं शक्ति का संचय करती है। काम वासनाओं का परिशोधन कर भावों को निर्मल एवं परिष्कृत करती है। 40. गे-कै-इन् मुद्रा
जापानी बौद्ध परम्परा में इस मुद्रा का अत्यन्त महत्त्व है। यह मुद्रा मुख्यत: भूत-प्रेत के उपद्रवों से छुटकारा पाने हेतु की जाती है। इसलिए यह दुष्ट शक्तियों के निवारण की सूचक है। उक्त मुद्रा गर्भधातु मण्डल-वज्रधातु मण्डल के सामने करते हैं जिससे यन्त्र अधिष्ठित देवी-देवताओं की शक्ति द्वारा प्रेत आदि बाधाओं का आसानी से निवारण हो सकता है।