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322... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
चिंतामणि मुद्रा-4
इससे अग्नि तत्त्व, वायु तत्त्व, फेफड़ें और हृदय का नियमन, पाचन रसों का उत्पादन तथा शरीररस्थ तापमान का संतुलन होता है।
• एक्युप्रेशर प्रणाली के अनुसार यह शरीरस्थ विजातीय द्रव्यों का निकास करती है। 20. चिन्तामणि मुद्रा (पाँचवीं रीति)
इसमें भी दोनों हथेलियाँ मध्य भाग में, अंगूठे ऊपर उठे हुए और परस्पर स्पर्श करते हुए, तर्जनी, मध्यमा और अनामिका थोड़ी मुड़ी हुई तथा कनिष्ठिका अग्रभागों से स्पर्श करती हुई रहती हैं।20
शेष वर्णन प्रथम रीतिवत। सुपरिणाम
• पृथ्वी एवं वायु तत्त्व का संतुलन कर यह मुद्रा हड्डी, मांसपेशी, त्वचा, नाखुन, बाल आदि ठोस तत्त्वों सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करती है।