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304... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
• यह मुद्रा जल एवं वायु तत्त्व में संतुलन प्रस्थापित करते हुए रक्त, वीर्य, लसिका आदि से सम्बन्धित विकारों को दूर करती है। स्वाभाविक एवं शारीरिक रूक्षता को दूर कर शरीर को कान्तियुक्त एवं स्निग्ध बनाती है।
• स्वाधिष्ठान एवं विशुद्धि चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा साधक को महाज्ञानी, कवि, शान्तचित्त, शोकहीन एवं दीर्घजीवी बनाती है तथा तंत्रशास्त्र के अनुसार सृजन, पालन और निधन में समर्थ बनाकर जिह्वा पर सरस्वती का वास करवाती है।
• स्वास्थ्य एवं विशुद्धि केन्द्र को सक्रिय रखते हुए काम ऊर्जा एवं शारीरिक ऊर्जा का नियमन करती है तथा वृत्तियों को शान्त कर उच्चतर चेतना एवं आत्मिक शक्तियों का विकास करती है। 5. अंकुश मुद्रा
लोक व्यवहार में अंकुश का अर्थ होता है वश में करना, नियन्त्रण रखना। हिन्दी कोश के अनुसार एक प्रकार का छोटा शस्त्र या टेढ़ा काँटा जिसे हाथी के
अंकुश मुद्रा