________________
302... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में गर्भधातु मण्डल की धार्मिक क्रियाओं के समय मन्त्रोच्चार के साथ प्रयुक्त की जाती है। विधि
यह मुद्रा ध्यान मुद्रा से मिलती है और अनुज मुद्रा के विपरीत है। बायीं हथेली को ऊर्ध्वाभिमुख रखते हुए उसके ऊपर दायीं हथेली को अधोमुख रखना अग्रज मुद्रा है।
अवाज मुद्रा सुपरिणाम
• अग्नि एवं वायु तत्त्व का संतुलन करते हुए यह मुद्रा पाचन तंत्र सम्बन्धी विकृतियों एवं एसिडिटी में शीघ्र राहत देती है। मस्तिष्क स्नायुओं को शक्तिशाली करते हुए सिरदर्द, अनिद्रा, उग्रता आदि का शमन करती है।
• मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र को जागृत कर यह मुद्रा शरीरस्थ सोडियम, वायु, फेफड़ें और हृदय का नियमन करती है। तनाव प्रबन्धन करते हुए कार्यशक्ति का विकास करती है। शक्ति-उत्पादन एवं ज्ञान तंतुओं के जागरण में सहायक बनती है।