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290... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
चक्र- विशुद्धि एवं अनाहत चक्र तत्त्व- वायु तत्त्व अन्थि- थायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुँह, स्वर यंत्र, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ एवं रक्त संचार प्रणाली। 14. पाद्यम् मुद्रा ___पैरों से सम्बन्धित मुद्रा पाद्यम् मुद्रा कहलाती है। पूजनीय व्यक्ति या देवता के पैर जिस जल से धोये जाते हैं वह पाद्यम् कहा जाता है अर्थात पाँव धोने का पानी पाद्यम् है। षोडशोपचार में आसन और स्वागत के पश्चात तथा पंचोपचार में सर्वप्रथम पाद्य की विधि की जाती है।16
यह मुद्रा वज्रायना देवी तारा की पूजा से सम्बन्धित है। इस संयुक्त मुद्रा को छाती के स्तर पर धारण करते हैं। पूजा मन्त्र है- 'ओम् गुरु सर्व तथागता महा पाद्यम् प्रतिच्छा हुम् स्वाहा।'
पाघम् मुद्रा