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288... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
• इस मुद्रा के प्रयोग से थायरॉइड, पेराथायरॉइड, पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि प्रभावित होती हैं। इससे यह मुद्रा कान, नाक, गला, मुँह, मस्तिष्क आदि के दोषों एवं कमियों को दूर करने में सहायक बनती है।
12. मण्डल मुद्रा
भारत की वज्रायना बौद्ध परम्परा से सम्बन्धित यह मुद्रा वज्रायना देवी तारा विषयक है। यह संयुक्त मुद्रा कुछ कठिन है । इस मुद्रा के द्वारा प्रतीक रूप में अपने अन्तर्भावों को आराध्य के समक्ष प्रकट किया जाता है इस मुद्रा का मन्त्र है- 'ओम् वज्र मुनि अह् हुम्' 'ओम् वज्र रेखे अह् हुम् । '
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मण्डल मुद्रा
सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से मणिपुर, आज्ञा एवं विशुद्धि चक्र सक्रिय होते हैं। इन चक्रों के जागरण से साधक भूख-प्यास आदि पर नियंत्रण प्राप्त कर आत्मचिंतक, विचारक, दार्शनिक आदि बन सकता है। वह अन्य लोगों के मनोगत भावों को भी जान सकता है।
• अग्नि, आकाश एवं वायु तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा पाचन सम्बन्धी विकारों का शमन करती है तथा रक्त विकार, हृदय विकार, मानसिक