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276... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन विधि ___ मध्यमा और अनामिका के अग्रभागों को अंगूठों के अंतिम पोर से संयुक्त करें, तर्जनी और कनिष्ठिका को ऊपर की ओर उठाते हुए इनके अग्रभागों को परस्पर स्पर्शित करवाने पर बाम् मुद्रा बनती है।
बाम् मुद्रा सुपरिणाम
• यह मुद्रा करने से आकाश एवं चेतन तत्त्व प्रभावित होते हैं, जिससे शरीरगत विकार जैसे फोड़ा-फुन्सी, पीप आदि का शमन होता है। हृदय शान्त एवं निर्मल बनता है। ध्यान सहजता से सधता है।
• आज्ञा एवं सहस्रार चक्र को जागृत कर यह मुद्रा बुद्धि को कुशाग्र एवं विकल्प रहित बनाती है तथा पिनियल एवं पीयूष ग्रंथि के स्राव को संतुलित
और क्रोधादि कषाय को नियन्त्रित कर काम वासना को घटाती है। 4. भूतडामर मुद्रा ___ इस मुद्रा का अपर नाम त्रैलोक्य विजय मुद्रा है। यह मुद्रा भारतीय बौद्ध परम्परा में अधिक प्रसिद्ध है। अनुसंधान के आधार पर यह संयुक्त मुद्रा विस्मय