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260... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
सम्मनिंग - सिन्स् मुद्रा
करती है। • मूलाधार एवं अनाहत चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा काम आतुरता को नियंत्रित करती है। शारीरिक स्वस्थता एवं हृदय में सद्गुणों का स्फुटन करती है। • शक्ति एवं तैजस केन्द्र को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा आभ्यंतर शक्तियों का ऊर्ध्वारोहण, कामवासनाओं का शमन, आन्तरिक एवं बाह्य कान्ति का वर्धन करती है।
68. सुप्रतिष्ठमुद्रा
के
वज्रायन बौद्ध परम्परा की प्रमुख मुद्राओं में से यह एक है। उपलब्ध ग्रन्थों अनुसार यह समूह में से अलग होने की प्रार्थना सूचक मुद्रा है । इसे छाती के स्तर पर संयुक्त हाथों से धारण करते हैं। शेष वर्णन पूर्ववत ।
विधि
उभय हथेलियों को ऊर्ध्वाभिमुख करते हुए अंगुलियों को बाहर की ओर फैलायें तथा हथेलियों एवं कनिष्ठिका की बाह्य किनारियों को मिलाने पर सुप्रतिष्ठ मुद्रा बनती है।