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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...185 8. अजण्ट-टेम्बोरिन्-इन् मुद्रा
भारत में इसे धर्मचक्र मुद्रा कहते हैं। यह धर्मचक्र अथवा सृष्टि नियमों के चक्र घूमने की सूचक है। जापानी बौद्ध परम्परा में यह मुद्रा निम्न प्रकार से की जाती हैविधि . दायें हाथ का अंगठा और तर्जनी के अग्रभाग को जोड़ते हए शेष तीन अंगुलियों को ऊपर की ओर रखें। बायें हाथ की मध्यमा और अनामिका को हथेली तरफ मोड़ते हुए तर्जनी को ऊपर उठायें, कनिष्ठिका हथेली की ओर घुमी हुई तथा अंगूठा ऊपर उठा हुआ रहे। ___ बायें हाथ की तर्जनी का अग्रभाग दायें हाथ के अंगूठे के अग्रभाग के समानान्तर हो, तब अजण्ट-टेम्बोरिन्-इन् मुद्रा कहलाती है।10
सुपरिणाम
अजण्ट-टेम्बोरिन्-इन मुद्रा • यह मुद्रा अग्नि एवं जल तत्त्व को संतुलित करते हुए जठर, तिल्ली, यकृत, एड्रिनल आदि में अग्नि रस एवं पाचक रसों को उत्पन्न करती है तथा