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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...177
अभिषेक गुह्य मुद्रा बनती है। यह मधुमेह, कब्ज, अपच, गैस एवं पाचन विकृतियों को भी दूर करती है। • आनन्द एवं तैजस केन्द्र के ऊपर इस मुद्रा का विशेष प्रभाव पड़ता है। यह व्यक्ति को अन्तर्मुखी करते हुए काम-वासनाओं का परिशोधन करती है। • एक्युप्रेशर पद्धति के अनुसार यह मुद्रा बालकों को बीमार होने से एवं मंदता आदि से बचाती है तथा पित्ताशय, लीवर, रक्तचाप, प्राणवायु आदि का संतुलन करती है। 2. अधिष्ठान मुद्रा ___यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा विभिन्न धार्मिक क्रियाओं को सम्पन्न करने हेतु वहाँ के भक्त या पुजारी द्वारा धारण की जाती है।
अधिष्ठान का मुख्य अर्थ होता है वासस्थान, रहने का स्थान आदि। सांख्य के अनुसार भोक्ता और भोग का संयोग अधिष्ठान कहलाता है।
यहाँ अधिष्ठान मुद्रा का अभिप्राय देवी-देवताओं को भोग चढ़ाना अथवा उनके निवास स्थान पर उनकी पूजा करना हो सकता है।