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170... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन 3. वज्र अमृत कुण्डली मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा बौद्ध परम्परा में श्रद्धापूर्वक ग्रहण की जाती है। पूर्वकथित 'म-म मडोस' की छः मुद्राओं में यह तीसरी मुद्रा है। यह मुद्रा सामान्यत: भंवरे के मधुरस की सूचक है तथा विशेष रूप से सफेद टोरमा (पवित्र केक) को अर्पण करने एवं धागे के क्रॉस को प्रस्तुत करने की सूचक है। यह प्रसिद्ध वज्रायना देवी तारा की पूजा से सम्बन्धित है। इस संयुक्त मुद्रा को छाती के सामने धारण करते हैं। मुद्रा मंत्र यह है- 'वन अमृत कुण्डली हनहन हुम् फट्।' विधि ___ दोनों हथेलियों को बाहर की तरफ रखें, अंगुलियाँ ऊपर उठी हुई हों, अंगूठे अंगुलियों से 45° कोण पर हों तथा दोनों अंगूठे एक-दूसरे के प्रथम पोर पर क्रॉस करते हुए हों, तब वज्र अमृत कुण्डली मुद्रा बनती है।'
वज अमृत कुंडली मुद्रा