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162... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
• यह मुद्रा आकाश एवं जल तत्त्व को संतुलित करते हुए काम, क्रोध, मोह, लोभ, दुःख, चिंता आदि का शमन करती है। • आज्ञा एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करते हुए बुद्धि को कुशाग्र, चित्त को शान्त एवं एकाग्र बनाती है। इससे नियंत्रण सामर्थ्य एवं वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है। • पिच्युटरी एवं गोनाड्स के स्राव को संतुलित कर यह शरीर की आन्तरिक क्रियाओं को नियन्त्रित, स्वभाव को शांत एवं मनोवृत्तियों को परिष्कृत करती है। काम वासनाओं का नियंत्रण भी इसी की साधना से होता है। 8. ओत्तनश-गस्सही मुद्रा
यह बारह द्रव्य हाथ मिलन की मुद्राओं में से एक है। इसे जापानी बौद्ध परम्परा के श्रद्धालु वर्ग धारण करते हैं। यह मुद्रा निम्न स्वरूप के अनुसार स्पष्ट व्याख्या की सूचक है।
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ओत्तनश-गस्सठी मुद्रा