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अठारह कर्त्तव्य सम्बन्धी मुद्राओं का सविधि विश्लेषण......153 सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से पृथ्वी एवं जल तत्त्व प्रभावित होते हैं जिससे शरीर में हो रहे रासायनिक परिवर्तन एवं व्यक्तित्व संतुलन में सहयोग मिलता है तथा निर्मल एवं परिवर्तनशील विचारों का निर्माण होता है। • यह मुद्रा मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करती है। इससे वाणी में मधुरता एवं कोमलता आती है। • शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र पर प्रभाव डालते हुए यह मुद्रा काम वासनाओं पर नियंत्रण, शारीरिक एवं आत्मिक तेज की वृद्धि आदि में सहयोगी बनती है।
उपरोक्त मुद्राओं के वर्णन का मुख्य उद्देश्य जन सामान्य में कर्तव्यों के प्रति जागृति लाना है। अठारह कर्त्तव्य से सम्बन्धित यह मुद्राएँ साधकों को अपने कर्तव्यों का मान करवाए। कर्तव्य पालन में यह जागरूकता आन्तरिक चक्रों का जागरण करे तथा मानसिक एवं शारीरिक संतुलन स्थापित करें। सन्दर्भ-सूची 1. GDE एसोरिक मुद्राज ऑफ जापान, गोरी देवी, दिल्ली, 1999 2. (क) GDE, पृ. 103
(ख) LCS, पृ. 61 3. LCS, पृ. 63
4. GDE, पृ. 106 5. (क) GDE, पृ. 106
(ख) LCS, पृ. 63 6. LCS, पृ. 61
7. LCS, पृ. 62 8. GDE, पृ. 105
9. GDE, पृ. 106 10. (क) GDE, पृ. 396
(ख) LCS, पृ. 60 11. (क) GDE, पृ. 103
(ख) LCS, पृ. 61