________________
अष्टमंगल से सम्बन्धित मुद्राओं का स्वरूप एवं मूल्य...
...135
मुद्रा अनाहत एवं विशुद्धि चक्र को जागृत करते हुए साधक को महाज्ञानी, कवित्व- वक्तृत्व आदि का विकास कर शान्तचित्त बनाती है। • थायरॉइड एवं थायमस ग्रंथियों को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा शारीरिक अंगों का सम्यक संचालन, कैलशियम, आयोडीन एवं कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करती है। 22. कनक मत्स्य मुद्रा
बौद्ध परम्परा की यह मुद्रा अष्टमंगल में से एक है और स्वर्ण मछली की सूचक है। वज्रायना देवी तारा की पूजोपासना करते वक्त अष्टविध बाह्य द्रव्य चढ़ाये जाते हैं उनमें से भी यह एक है । अन्य सात के नाम हैं- गांठ, चक्र, कमल, विजय पताका, छत्र, खजाने का गमला और शंख ।
इसमें दोनों हाथ में समान मुद्रा प्रतिबिंब के रूप में होती है। इसका मन्त्र है- 'ओम् कनक मत्स्य - प्रतिच्छा स्वाहा । '
विधि
कनक मत्स्ये मुद्रा
हथेलियों को नीचे की तरफ करते हुए उसकी ढ़ीली मुट्ठी बांधें तथा दोनों मध्यमाओं को मध्य भाग की ओर बढ़ाते हुए परस्पर में अग्रभागों का स्पर्श करवाने पर कनक मत्स्य मुद्रा बनती है । 23