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अष्टमंगल से सम्बन्धित मुद्राओं का स्वरूप एवं मूल्य...... 127
वज्र मुरजे मुद्रा
पाचन तंत्र सम्बन्धी विकृतियों को दूर करती है । • तैजस चक्र को सक्रिय रखते हुए यह मुद्रा तनाव मुक्त, आशावादी, विधेयात्मक, साहसी, निडर व्यक्तित्व का निर्माण करती है।
16. वज्र नृत्ये मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा बौद्ध परम्परा में मुख्य रूप से देवी तारा की आराधना से सम्बन्धित है। पूर्ववत देवी तारा के साथ-साथ विषय सुख की 16 देवियों की पूजा करते समय भी यह मुद्रा दिखायी जाती है और उनके समक्ष अष्टमंगल और सोलह रहस्य भरे द्रव्य चढ़ाये जाते हैं। पूजा मन्त्र निम्न है - 'ओम् अह् वज्र नृत्ये हुम्।'
दोनों हाथों में समान मुद्रा होने पर भी उन्हें रखने की स्थिति भिन्न होती है।
विधि
दोनों हाथों की तर्जनी और मध्यमा बाहर की तरफ फैली हुई और हल्की सी ऊपर उठी हुई रहें, अनामिका और कनिष्ठिका हथेली में मुड़ी हुई रहें,