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122... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम ___ • यह मुद्रा पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व को प्रभावित करते हुए शरीर एवं नाड़ी की शुद्धि तथा हड्डियों, मांसपेशियों, तरल पदार्थों के प्रवाह को सम्यक करती है। हृदय को शक्तिशाली बनाती है। • मूलाधार एवं मणिपुर चक्र को जागृत करते हुए यह आरोग्य दक्षता, कर्म कौशल्य, ओजस्विता एवं शक्ति प्रदान करती है। यह मुद्रा मधुमेह, अपच, गैस एवं पाचन सम्बन्धी विकृतियों को भी दूर करती है। • एड्रिनल एवं गोनाड्स ग्रंथियों को सक्रिय करते हुए यह संचार व्यवस्था, श्वसन एवं रक्त संचरण आदि के कार्यों को सम्यक एवं सुचारू बनाती है तथा काम-शक्ति में होने वाले ऊर्जाशक्ति के व्यय को कम कर व्यक्तित्व विकास एवं विधेयात्मक विचारशैली के निर्माण में सहयोग करती है। 12. वज्र हास्ये मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा मुख्य रूप से वज्रायना देवी तारा की पूजा से सम्बन्धित है। इस मुद्रा का प्रयोग करते हुए ऐन्द्रिक सुख की प्रतीक 16 देवियों में से किसी
वज हास्ये मुद्रा