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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की...
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31. पेंगू- फ्रदित्थंरोय् - फ्रबुद्धबत्र मुद्रा (पदचिह्न मुद्रा )
थाईलैण्ड के बौद्ध समाज में अनुसरण की जाने वाली यह मुद्रा 40 मुद्राओं में से 31वीं मुद्रा है। इस मुद्रा को भारत में हस्तस्वस्तिक मुद्रा कहते हैं । मुद्रा स्वरूप के आधार पर यह भगवान बुद्ध के पदचिह्नों को भूमि पर निर्मित करने की सूचक है। जब भगवान बुद्ध पदविहार करते थे उस समय उनके चरण युगल जहाँ भी पड़ते, वह पदचिह्न के रूप में अंकित हो जाते थे अथवा उनका भक्त वर्ग उन पदचिह्नों को अंकित कर देता था, यह मुद्रा उसी भाव को सूचित करती है।
पेंग्-फ्रदित्थंरोय्-प्रबुद्धवत्र मुद्रा
विधि
दायीं हथेली पीछे की तरफ छाती के मध्य भाग पर रहे, बायाँ हाथ पार्श्वभाग में नीचे लटकता हुआ रहे, अंगुलियाँ एवं अंगूठा भी नीचे की ओर प्रसरित रहें तथा बायां पैर उठा हुआ और दाहिना पैर नीचे स्थिर रहने पर पेंग् फ्रदित्थंय् प्रबुद्धबत्र' मुद्रा बनती है। 34