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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की......75 28. पेंग-रम्-प्वेंग मुद्रा (परावर्तित मुद्रा)
थाई बौद्ध परम्परा में प्रचलित इस मुद्रा को भारत में ज्ञान-ज्ञान मुद्रा कहते हैं। यह संयुक्त मुद्रा भगवान बुद्ध द्वारा आचरित 40 मुद्राओं में से अट्ठाईसवीं मुद्रा है।
इस मुद्रा स्वरूप से यह अवगत होता है कि भगवान बुद्ध के आत्मज्ञान में जिस तरह के विचार उत्पन्न हुए, उन्होंने उसी तरह के विचारों को लोगों के समक्ष रखा और अपने भावों को उनमें प्रतिबिम्बित किया अत: यह परावर्तित मुद्रा की सूचक है।
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पेंग-रम्-प्वेंग मुद्रा विधि
दायें हाथ को बायें हाथ पर cross करता हुआ रखें, हथेलियों को अपने सम्मुख रखते हुए अंगूठे और तर्जनी के अग्रभाग को परस्पर मिलायें तथा शेष अंगुलियों को शिथिल रूप से ऊपर की ओर फैलाये रखने पर उपरोक्त मुद्रा बनती है।31