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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की......53
पेंग् लिला मुद्रा
सुपरिणाम
• यह मुद्रा जल एवं वायु तत्त्व में संतुलन स्थापित करती है। इससे शरीर एवं जीवन प्रवाह सुरक्षित रहते हैं। यह शारीरिक कार्य प्रणालियों को संतुलित करते हुए सुप्त शक्तियों को जागृत करती है। • स्वाधिष्ठान एवं अनाहत चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा जिह्वा पर सरस्वती का वास एवं अपूर्व शक्तियों का विकास करती है। इसी के साथ वक्तृत्व, कवित्व, इन्द्रिय निग्रह आदि गुणों में वर्धन होता है। • स्वास्थ्य एवं आनन्द केन्द्र को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा भावनाओं को निर्मल एवं परिष्कृत बनाती है तथा कामेच्छाओं का नियंत्रण करती है। • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार बालिकाओं के मानसिक, शारीरिक एवं बौद्धिक विकास में तथा प्रजनन एवं मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करती है।