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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की......51 चक्र पर प्रभाव डालती है। यह साधक को शांत, प्रेमल, सहिष्णु एवं सेवाभावी बनाती है तथा दीर्घजीवन में सहायक बनती है। • यह मुद्रा थायमस एवं थायरॉइड ग्रंथियों को प्रभावित करती है। • एक्युप्रेशर के अनुसार यह मुख्य रूप से बालकों की रोगों से रक्षा करती है तथा मानसिक एवं शारीरिक संतुलन बनाए रखती है। यह कैल्शियम, फास्फोरस का संतुलन कर विजातीय द्रव्यों को शरीर से निष्कासित भी करती है। 10. पेंग्-छन्-समोर मुद्रा (फल सेवन की मुद्रा)
थायलैण्ड में 'पेंग्-छन् समोर्' नाम से प्रसिद्ध यह मुद्रा भारत में 'अंचितध्यान' मुद्रा नाम से पहचानी जाती है। यह बुद्ध के जीवन काल का वर्णन करने वाली 40 मुद्राओं और आसनों में से दसवीं मुद्रा है। इस मुद्रा के विषय में कहा जाता है कि भगवान बुद्ध दर्शायी मुद्रा के अनुसार हरीतकी, आँवला, बहेड़ा आदि इस प्रकार के फल का आसेवन करते थे अत: यह उसकी प्रतीक मुद्रा है।
यह मुद्रा थायलैण्ड की बौद्ध परम्परा में प्रचलित है। इसे वीरासन या वज्रासन में बैठकर करते हैं।
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पेंग्-छन्-समोर मुद्रा