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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की...
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पेंग्-छोंग- क्रोम्-केडव् मुद्रा
सुपरिणाम
• यह मुद्रा अग्नि एवं जल तत्त्व को संतुलित करते हुए आहार का पाचन, स्नायुओं की स्थिति स्थापकता और रोग प्रतिरोधात्मक शाक्ति का विकास करती है। रूधिर आदि की कार्यपद्धति में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। • इस मुद्रा का प्रभाव मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र पर पड़ता है। यह शरीर में रक्त, शर्करा, जल तत्त्व और सोडियम को नियंत्रित करती है। • यह मुद्रा एड्रिनल एवं गोनाड्स को प्रभावित करती हैं। इससे जल तत्त्व संतुलित होता है और कामेच्छा नियंत्रित होती है। यह ज्ञानतंतु, मज्जा, मांस, हड्डियाँ, बोनमेरो आदि का नियमन भी करती है।
9. पेंग् फ्रसन्र्भत्र मुद्रा (चार भिक्षा पात्र को युगपद् धारण करने की मुद्रा) पेंग् फ्रसन्र्भत्र नाम से यह मुद्रा थायलैण्ड में प्रसिद्ध है। भारत में इस मुद्रा को बुद्ध श्रमण ध्यान मुद्रा कहा जाता है। भगवान बुद्ध ने मुख्य रूप से 40 मुद्राएँ धारण की थी उनमें यह नौवीं मुद्रा है।