SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ xiviii... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... सामंजस्य बैठाने की कला है। Time management, Group Management, Place management की शिक्षा इसके माध्यम से स्वतः प्राप्त हो जाती है। आज की पदार्थ विलासी जीवन शैली के प्रभुत्व में जिनपूजा स्वयं की ओर बढ़ने का राजमार्ग है। इस कृति में जिनपूजा विषयक विविध पक्षों को ग्यारह अध्यायों में बाँटा गया है पहले अध्याय में पूजा के स्वरूप एवं प्रकारों की चर्चा करते हुए आगम काल से अब तक प्रवर्तित समस्त प्रकारों की चर्चा शास्त्रोक्त आधार पर की गई है। __ दूसरे अध्याय में पूजा में अपेक्षित विविध नियमों की चर्चा की गई है जैसे कि सात शुद्धि, पाँच अभिगम, दसत्रिक आदि। इसी के साथ इसमें त्रिकाल पूजा का क्रम एवं जिनमन्दिर सम्बन्धी विविध अनुष्ठानों (क्रियाओं) की विधि भी बताई गई है। तीसरा अध्याय द्रव्य पूजा में समाहित अष्टप्रकारी पूजा के विविध पहलुओं से सम्बन्धित है। इसमें जल, चन्दन आदि द्रव्य पूजाओं का स्वरूप, उद्देश्य एवं विधि बतलाते हुए तद्विषयक जनमान्यता आदि पर प्रकाश डाला गया है। अष्टप्रकारी पूजा करते समय क्या सावधानी रखी जाए एवं उन्हें सम्पन्न करते समय किस प्रकार के भावों से अपने आपको भावित किया जाए आदि का भी स्पष्ट उल्लेख किया है। जिससे श्रावक वर्ग इन क्रियाओं को सम्यक रीति से एवं भावयुक्त होकर सम्पन्न कर सके। इस कृति का चौथा अध्याय 'भावे भावना भाविए' जिनपूजा का प्रमुख भेद भावपूजा से सम्बन्धित है। इस अध्याय में भावपूजा रूप चैत्यवंदन के विविध पहलुओं को स्पष्ट करते हुए चैत्यवंदन की विविध कोटियाँ, उनमें उपयोगी सूत्र एवं तद्योग्य मुद्राएँ, चैत्यवंदन विधि एक लाभप्रद अनुष्ठान कैसे, चैत्यवंदन विधि की पारमार्थिक उपादेयता, आर्य संस्कृति में इसकी महत्ता एवं उपादेयता आदि विषयक वर्णन किया गया है। इसी के साथ इसमें स्तवन के शास्त्रोक्त लक्षण, उसकी प्राचीनता आदि पर भी प्रकाश डाला गया है। ___ पांचवां अध्याय पूजार्थी एवं दर्शनार्थी वर्ग के लिए विशेष उपयोगी है। जिनपूजा का मुख्य ध्येय है कर्म विघटन। अत: चर्चित अध्याय में जिनमंदिर में
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy