________________
344... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म...
शंका- धर्म क्षेत्र में किसी एक क्षेत्र की राशि को किसी अन्य क्षेत्र में प्रयोग कर सकते हैं या नहीं ?
समाधान- धर्म क्षेत्र की कोई भी आवक धर्म क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य कार्यों में प्रयोग नहीं की जा सकती। धर्म क्षेत्र में भी साधारण द्रव्य का प्रयोग सातों क्षेत्र में हो सकता है । देवद्रव्य, ज्ञानद्रव्य, साधु-साध्वी वैयावच्च द्रव्य, जीवदया, अनुकंपा आदि क्षेत्रों की राशि का प्रयोग अन्य क्षेत्र में नहीं कर सकते। जो कार्य सर्व साधारण (शुभ) खाते से करने के हो उसमें साधारण द्रव्य का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
संयोग विशेष में श्रावक-श्राविका क्षेत्र की राशि का प्रयोग उससे ऊपर के क्षेत्रों में हो सकता है किन्तु जीवदया, अनुकम्पा या धर्मेतर कार्यों में इसका प्रयोग नहीं हो सकता। अतः यह स्पष्ट है कि नीचे के क्षेत्रों का द्रव्य ऊपरी क्षेत्रों में हो सकता है परंतु ऊपरी क्षेत्रों की राशि नीचे के क्षेत्रों में उपयोग नहीं की जा सकती।
शंका- सात क्षेत्रों की जिम्मेदारी एवं वहीवट (हिसाब) संभालने वाला श्रावक कैसा होना चाहिए?
समाधान- जैनाचार्यों के अनुसार धर्म क्षेत्रों की वहीवट ( Account) संभालने वाला श्रावक निम्न गुणों से युक्त होना चाहिए।
1. अनुकूल कुटुम्बवाला अर्थात अच्छे कार्यों में सहयोगी बने ऐसे परिवार वाला हो।
2. न्याय युक्त धनार्जन करके श्रीमंत बना हो ।
3. जिसे राजदरबार या न्यायालय में उचित मान-सम्मान दिया जाता हो तथा जो तर्क निपुण एवं विरोधी को शांत करने में समर्थ हो ।
4. दान कुशल अर्थात दान देने एवं दूसरों को सहायता करने में रुचिवंत हो।
5. धीर-प्रतिकूल परिस्थिति में भी संतुलन एवं धैर्य बनाए रखता हो ।
6. कुलीन - श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न एवं दृढ़ प्रतिज्ञ हो ।
7. ज्ञाता- धर्मद्रव्य आदि में वृद्धि करने एवं उसका उपयोग करने आदि रीतियों का जानकार हो ।
8. धर्मानुरागी - धर्म के प्रति प्रीति रखने वाला हो।