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328... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... 22. निरयावलिकासूत्र, पृ. 77 23. प्रतिमापूजन, पृ. 110 24. उत्तराध्ययनसूत्र, 10/30 25. तत्तो य पुरिमताले, वग्गुर ईसाण अच्चए पडिमा। मल्लि जिणायणपडिमा, उण्णाए वंसि बहुगोट्ठी ॥
आवश्यकसूत्र, 490, पृ. 140-141 26. आवश्यकनियुक्ति, भा. 1, पृ. 112-113 27. अंतेउरे चेइयहरं कारियं, पभावती पहाता, तिसंज्झं अच्चेइ, अन्नया देवी णच्चेइ राया वीणं वायेइ।
आवश्यकसूत्र 28. आवश्यकसूत्र, पृ. 198 29. जैन धर्म और जिनप्रतिमा पूजन रहस्य, पृ. 69 30. तत्त्वज्ञान प्रवेशिका, पृ. 77 31. व्यवहारसूत्र, 1/33 32. सिद्धवेयावच्चेणं महानिज्जरा महापज्जवसाणं चेवति ।
व्यवहारसूत्र, उद्धृत- प्रतिमापूजन, पृ. 114 33. निशीथसूत्र, उद्धृत-तत्त्वज्ञान प्रवेशिका, पृ. 77 34. काउंपि जिणाययणेहिं, मंडियं सण्वमेइणीवट्ट । दाणाइचउक्केण सड्ढो, गच्छेज्ज अच्चुयं जाव न परं ।
___ महानिशीथसूत्र, चौथा अध्ययन 35. जीतकल्पसूत्र, उद्धृत- जैन धर्म और जिनप्रतिमा पूजन रहस्य, पृ. 69 36. नन्दीसूत्र, वही, पृ. 69 37. अनुयोगद्वारसूत्र, पृ. 13 38. से भयवं तहारूवे समणे वा माहणे वा चेइयघरे गच्छेज्जा? हंता गोयमा दिणेदिणे गच्छेज्जा। से भयवं...गोयमा जहा साहू तहा भणियव् छठें अहवा दुवालसमं पायच्छित्तं हवेज्जा।
महाकल्पसूत्र, उद्धृत-प्रतिमा पूजन, पृ. 104 39. वही, पृ. 105 40. आचारांगनियुक्ति (नियुक्ति पंचक) 3/352 41. सूत्रकृतांग नियुक्ति, 2/6/194-201