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238... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... राजा पर न पड़े। यदि राजा की सेवा करते हुए इतना विवेक रखा जाता है तो फिर त्रिलोकीनाथ राजराजेश्वर परमात्मा की पूजा-अर्चना-सेवा करते हुए विनय रखना तो परम आवश्यक है अत: मुखकोश बांधना ही चाहिए। ___ आजकल प्रदूषण, विषाणुओं के संक्रमण आदि से बचने हेतु Doctor, Traffic Police एवं सामान्य जनता भी मुख पर Mask पहनती है। इस तरह यह शारीरिक स्वस्थता में भी सहायक बनता है।
चंदन घिसते समय अथवा अभिषेक आदि करते हुए मुख से यूंक आदि गिरने की भी संभावना रहती है, इससे चंदन आदि अशुद्ध हो सकता है। इसलिए भी मुखकोश बांधना परमावश्यक है। मुखकोश कब बांधना चाहिए?
जब भी परमात्मा की अंग पूजा करनी हो अथवा तत्सम्बन्धी द्रव्य को तैयार करना हो तब अवश्यमेव मुखकोश का प्रयोग करना चाहिए। इसी प्रकार आगम आदि ग्रन्थों की पूजा एवं वांचन आदि करते समय मुखकोश का प्रयोग करना चाहिए। मुखकोश बांधने की विधि आचार्य हरिभद्रसूरि पंचाशक प्रकरण में कहते हैं कि
वत्येण बंधिउण णासं अहवा जहासमाहिए ।
वज्जेयव्वं तु तदा देहम्मिवि कंडुयणमाई ।। अर्थात वस्त्र से नासिका बाँधकर पूजा करनी चाहिए, जिससे दुर्गन्धयुक्त श्वास आदि प्रभु को न लगे। नासिका बांधने से यदि असुविधा हो तो जिस प्रकार समाधि हो उस प्रकार बांधना चाहिए किन्तु यह अपवाद मार्ग है। यदि किसी को रोगादि के कारण विशेष असुविधा हो तो नासिका को खुली रखते हुए भी पूजा की जा सकती है अन्यथा मुख और नाक दोनों ही बांधने चाहिए।15
पुरुषों को खेस (दुपट्टा) के किनारे से ही आठ पट्ट करके मुखकोश बांधना चाहिए। मुखकोश हेतु अतिरिक्त वस्त्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में पुरुष वर्ग के लिए दो वस्त्रों का एवं महिलाओं के लिए तीन वस्त्रों का विधान है। अलग से रूमाल के प्रयोग का कहीं भी उल्लेख नहीं है। परन्तु महिलाओं के वर्तमान परिधान (वेश) के अनुसार उनके लिए रूमाल का प्रयोग आवश्यक है।
यदि पुरुष वर्ग शरीर खुला न दिखे इसके कारण से खेस के स्थान पर मुखकोश का प्रयोग करते हैं तो 'थणदोष' नाम की आशातना लगती है।