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पूजा उपकरणों का संक्षिप्त परिचय एवं ऐतिहासिक विकास क्रम ...213 हेतु ऐसे अनेकशः उपकरणों का प्रयोग होता है। इनमें से जो वस्तु एक बार उपयोग में ली जाती है उसे 'उपादान' कहते हैं जैसे- पुष्प, अक्षत, नैवेद्य आदि तथा जो वस्तु बार-बार प्रयोग में ली जाती है उसे उपकरण कहा जाता है।
यदि आगमकाल से अब तक की उपकरण विकास यात्रा पर दृष्टिपात करें तो पूर्वकाल से ही अनेक उपकरणों की चर्चा प्राप्त होती है। देश-कालगत परिस्थितियों के कारण कई उपकरणों का स्वरूप बदला है तो कई उपकरणों का अस्तित्व अब नहीवत रह गया है तो कई नए उपकरणों का प्रवेश भी वर्तमान में हुआ है।
आगमों में ज्ञाताधर्मकथासूत्र, राजप्रश्नीय सूत्र, जम्बुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र आदि में सूर्याभदेवता, द्रौपदी आदि द्वारा कृत पूजा के वर्णन में अनेक प्रकार के उपकरणों का उल्लेख प्राप्त होता है। प्राचीन और अर्वाचीन साहित्य के अनुशीलन के आधार पर जिनपूजा सम्बन्धी उपकरणों की सूची इस प्रकार है
जिनपूजा सम्बन्धी उपकरण एवं उपादान सची पूर्वकाल में उपयोगी मध्यकाल में उपयोगी अर्वाचीन काल में उपयोगी उपकर
उपकरण
उपकरण लोमहस्तक (मोरपिच्छी) लोमहस्तक मोरपिच्छी 2. सुवर्ण कलश
स्वर्ण कलश 3. रूप्य कलश
रूप्य कलश चाँदी कलश 4. मणिमय कलश 5. सुवर्ण रूप्य कलश 6. स्वर्ण मणिमय कलश 7. रूप्य मणिमय कलश 8. सुवर्ण रूप्य मणिमय कलश 9. भौमेय (मृन्मय-मिट्टी) कलश 10. चंदन कलश 11. शृंगार (नालीदार) कलश श्रृंगार कलश
कलश 12. आदर्श (दर्पण)
आदर्श
दर्पण 13. थाल
थाली
थाली 14. पात्री (तासली-केशर रखने का तासली
कटोरा पात्र)
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