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70... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म...
पैर धोने की विधि
• मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व आने-जाने में अशुद्ध हुए पैरों की शुद्धि के लिए उन्हें स्वच्छ जल से धोना चाहिए।
• संभव हो तो पैर धोने का पानी साथ में लाना चाहिए। अन्यथा मन्दिर में जहाँ भी पैर धोने की व्यवस्था हो वहाँ पर पैर धोना चाहिए।
• स्तुति का उच्चारण मधुर स्वर में और धीमी आवाज में करना चाहिए, जिससे अन्य दर्शनार्थियों को विक्षेप उत्पन्न न हो। मुखकोश बांधने की विधि
• परमात्मा की दृष्टि नहीं पड़ती हो ऐसे स्थान पर खड़े होकर खेस के एक छेड़े से आठ परत करते हुए मुखकोश बांधना चाहिए। महिलाओं को बड़े रूमाल का प्रयोग करना चाहिए। परन्तु उसकी भी आठ परत बनाना आवश्यक है।
• आठ परत इस प्रकार बनाना चाहिए कि उससे नासिका और दोनों होठ ढंक जाएँ।
• मुखकोश व्यवस्थित बाँधने के पश्चात हाथों को पानी से शुद्ध करना चाहिए।
• रूमाल को बार-बार ऊपर नीचे नहीं करना चाहिए।
• मुखकोश को बांधकर ही अंगपूजा सम्बन्धी सभी कार्य करने चाहिए। जैसे कि चंदन घिसना, पुष्प आदि चढ़ाना आदि।
• मुखकोश बांधने के बाद मौन रहना चाहिए। दोहे आदि का उच्चारण भी मन में ही करना चाहिए। चंदन घिसने की विधि
• चंदन घिसने हेतु सर्वप्रथम आठ पट का मुखकोश बांधे। तदनन्तर कपूर, केशर, अंबर, कस्तूरी, बरास आदि सुगन्धित द्रव्यों को एक कटोरी में निकाल लेना चाहिए।
• चंदन घिसने का पत्थर (ओरसिया) एवं चंदन दोनों को जयणापूर्वक देखकर स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए।
• ओरसिया स्वच्छ होने के बाद केशर एवं पानी आदि मिलाते हुए चंदन रस तैयार करना चाहिए। तदनन्तर चन्दन रस को हथेली से कटोरी में लेना चाहिए।