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________________ 432 404 405 जे णरे कुव्वती पावं 39, 2 411 णेव बालेहि संसग्गिं 33, 5 379 जे ण लुब्भति कामेहिं 34, 6 387 णेहवत्तिक्खए दीवो 9, 19 275 जेणाभिभूतो जहती तु धम्मं 36, 15 399 णो संवसितुं सक्कं 4, 1 252 जे पुमं कुरुते पावं 45, 3 423 तणखाणु-कण्टक-लता-घणाणि 4, 5253 जे भिक्खु सखेयमागते 27, 3 352 तम्हा उ सव्वदुक्खाणं 15, 28 302 जे लक्खणसुमिणपहेलियाउ 27, 4 352 तम्हा ते तं विकिंचित्ता 3, 9 250 जे लुब्भन्ति कामेसु 28, 3 354 तम्हा तेसिं विणासाय 35, 9 390 जेसिं आजीवतो अप्पा 41, 1 415 तम्हा पाणदयट्ठाए 45, 22 428 जेसिं जहिं सुहुप्पत्ती 22, 12 324 तेलोक्कसारगरुयं 45, 38 जेसु जायन्ते कोधादि 35, 10 391 तवो बीयं अवंझं से 26, 12 349 जे हुतासं विवज्जेति 45, 11 425 ताहं कडोदयुब्भूया 24, 19 333 जो जत्थ विज्जती भावो 4, 20 256 तहा बालो दुही वत्थु 15, 21 300 जोव्वणं रूवसंपत्तिं 24, 6 330 तित्तिं कामेसु णासज्ज 28, 8 355 डम्भकप्पं कत्तिसमं 38, 27 409 तुच्छे जणम्मि संवेगो 38, 10 डाहो भयं हुतासातो 22, 9 324 दन्तिन्दियस्स वीरस्स 38, 13 णच्चाण आतुरं लोकं 34, 4 386 दव्वओ खेत्तओ चेव 24, 39 338 तु ण नारीगणपमत्ते 6, 1 261 दव्वतो खित्ततो चेव 9, 32 278 णण्णस्स वयणाऽचोरे 4, 15 255 दव्वे खेत्ते य काले य 38, 29 409 ण दुक्खं ण सुहं वा वि 38, 8 404 दाणमाणोवयारेहिं 24, 12 332 ण पाणे अतिवातेज्जा 5, 3 259 दित्तं पावन्ति उक्कण्ठं 41, 5 416 णमंसमाणस्स सदा, सति 5, 2 259 दीवे पातो पतंगस्स 21, 5 319 ण माहणे धणुरहे 26, 4 346 दुक्खं खवेति जुत्तप्पा 9, 17 275 णरं कल्लाणकारिं पि 4, 13 255 दुक्खं जरा य मच्चू य 15, 19 299 णवि अत्थि रसेहिं 39, 5 412 दुक्खमूलं च संसारे 2, 8 246 णाणप्पग्गहसंबन्धे 6, 7 263 दुक्खमूलं पुरा किच्चा 15, 9 297 णाणमेवोवजीवन्तो 41, 10 417 दुक्खा परिवित्तसन्ति 2, 2 244 णाणावण्णेसु सद्देसु 38, 5 403 दुक्खितो दुक्खघाताय 15, 8 297 णावा अकण्णधारा व 6, 3 262 दुद्दन्ता इन्दिया पंच 16, 1 304 णावा व वारिमझमि 9, 29 277 दुद्दन्ता इंदिया पंच 29, 13 362 णासेवेज्जा मुणि गेही 28, 2 354 दुद्दन्ते इन्दिए पंच 16, 2 304 णियदोसे णिगूहते 4, 2 252 दुद्दन्तेहिदिएहऽप्पा 29, 14 363 णिरंकुसे व मातंगे 6, 2 261 दुप्पचिण्णं सपेहाए 4, 9 254 णिवत्तिं मोक्खमग्गस्स 11, 5 ___ 286 दुभासियाए भासाए दुक्कडेण 33, . 378 506 इसिभासियाई सुत्ताई
SR No.006236
Book TitleRushibhashit Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2016
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size33 MB
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