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25. अहं च भोयरायस्स तं च सि अन्धगवण्हिणो। मा कुले गन्धणा होमो संजमं निहुओ चर।।
-उत्तराध्ययन 22/44 26. कक्खंदे जलियं जोइं, धूमकेउं दुरासयं। नेच्छंति वंतयं भोत्तुं, कुले जाया अगंधणे।।
—दसवैकालिक 2/6 27. अगन्धणे कुले जातो जधा जागो महाविसो। मुंचित्ता सविसं भूतो पियन्तो जाती लाघवं।।
-इसिभासियाई, 45/40 29. See-Introduction of Isibhasiyaim by walther Schubring,
Ahmedabad—1974. 30. देखें-भगवती, शतक 15 31. देखें-उपासकदशांग, अध्याय 3 एवं 7 32. ज्ञाताधर्मकथा, द्रौपदी नामक अध्ययन 33. पत्तेयबुद्धमिसिणो बीसं तित्थे अरिट्ठणेमिस्स। पासस्स य पण्ण दस वीरस्स विलीणमोहस्स।।
—इसिभासियाई, पृ. 205 34. नारयरिसिपामुक्खे, वीसं सिरिनेमिनाहतित्थम्मि।
पन्नरस पासतित्थे, दस सिरिवीरस्स तित्थम्मि।।44।। पत्तेयबुद्धसाहू, नमिमो जे भासिउं सिवं पत्ता। पणयालीसं इसिभासियाइं अज्झयणपराई।।45।। -ऋषिमण्डल प्रकरणम् आत्मवल्लभ ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 13,
बालापुर, गाथा 44, 45 35. पण्हावागरणदसासु णं ससमय-पर-समय पण्णवय पत्तेयबुद्ध-विविहत्थभासाभासियाणं
-समवायांग सूत्र 546 36. भगवती 37. बृहदारण्यक उपनिषद्, द्वितीय अध्याय, चतुर्थ ब्राह्मण। 38. ऋषिमण्डल 43 39. Introduction page 3-7. ISIBHASIYAIM L. D. Institute of Indology
Ahmedabad-9, 1974. 40. ऋषिभाषित-प्रथम अध्ययन 41. समवायांग सूत्र प्रकीर्णसमवाय 252/3, जैनविश्वभारती (लाडनूं) 42. ज्ञाताधर्मकथा--अध्ययन 16/139-142 43. औपपातिक सूत्र 38
ऋषिभाषित : एक अध्ययन 119