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________________ प्रकाशकीय आज हम अत्यन्त प्रमुदित हैं कि प्राकृत भारती का 46वाँ पुष्प प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर और श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर के संयुक्त प्रकाशन के रूप में यह ग्रन्थ चिन्तनशील पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। ऋषिभाषित न केवल जैन श्रमण-परम्परा की ही अमूल्य निधि है अपित भारतीय परम्परा—वैदिक, बौद्ध एवं श्रमण-परम्परा की अमूल्य निधि है। इसमें ईसा पूर्व 10वीं शती से लेकर छठी शती तक के तीर्थंकरों, श्रमणों, ऋषियों, महर्षियों, परिव्राजकों के न केवल विचारों का ही संकलन है, अपितु उनके मूलभूत सिद्धान्तों/मन्तव्यों के साथ अनुभूतिपूर्ण आध्यात्मिक एवं नीतिपरक उपदेशों का भी संकलन है। जो है, वह भी पूर्ण प्रामाणिक है। इसमें कहीं भी, किसी भी परम्परा का आग्रह या विरोध दृष्टिपथ में नहीं आता है। बल्कि, सर्वदा समभाव की गूंज ही परिलक्षित होती है। केवल उत्कल को छोड़कर, चाहे वह तीर्थंकर हो, परिव्राजक हो, ऋषि हो या श्रमण हो, सबको अर्हत् शब्द से सम्बोधित/सम्मानित किया है। यह जैन श्रमण परम्परा की अभूतपूर्व/असाधारण उदारता ही थी कि उसने इस अमूल्य थाती को न केवल सुरक्षित ही रखा, अपितु परम्परावाद से दूर रहकर अपने आगमिक साहित्य में महत्त्वपूर्ण एवं उचित स्थान भी दिया। नन्दीसूत्र एवं पाक्षिक सूत्र के अनुसार आगम साहित्य में प्रकीर्णक ग्रन्थ में इसे स्वीकार भी किया। इतना ही नहीं, बल्कि आगम ग्रन्थों के समान इसके पठन/ग्रहण करने की साधना-विधि भी निर्धारित की। आज के साम्प्रदायिक विषम वातावरण में, जहाँ जैन जैन को, हिन्द हिन्द को हीन और निम्न दिखाने की छलना में ग्रस्त होकर भारतीयता की धज्जियाँ बिखेरने लगा है, वहाँ ऐसे समय में समभाव और समन्वय भाव के विचारों से ओत-प्रोत ऐसे ही अनुपमेय ग्रन्थों के पठन-पाठन से विवेक जाग्रत हो सकता है। और यह, विवेक ही भविष्य में भारतीयता की सुरक्षा कर सकता है। पूर्व में इस ग्रन्थ के संस्करण मूल, अंग्रेजी टिप्पण और हिन्दी अनुवाद (भाष्य) के साथ प्रकाशित हुए अवश्य हैं, किन्तु, प्रांजल भाषा में मूलानुसारी इसिभासियाई सुत्ताइं 11
SR No.006236
Book TitleRushibhashit Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2016
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size33 MB
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