SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 153
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [८] अथेदं कथितं क्षीरं प्राप्तं म्लेच्छेन नाशितम् । अवाप्याज्ञानिना ध्वस्तः सांप्रतं कथ्यते ऽगुरुः ॥१ मगधे विषये राजा ख्यातो गजरथो ऽजनि । अरातिमत्तमातङ्गकुम्भभेदनकेसरी ॥२ क्रीडया विपुलक्रोडो निर्गतो बहिरेकदा। दवीयः स गतो हित्वा सैन्यं मन्त्रिद्वितीयकः॥३ दृष्टवैकमग्रतो भृत्यं भूपो ऽभाषत मन्त्रिणम् । को ऽयं वा कस्य भृत्यो ऽयं पुत्रो ऽयं कस्य कथ्यताम् ॥४ मन्त्री ततो ऽवदद्देव ख्यातो ऽयं हालिकाख्यया। हरेमहत्तरस्यात्र तनूजस्तव सेवकः ॥५ देवकीर्यक्रमाम्भोजसेवनं कुर्वतः सदा। द्वादशेतस्य वर्तन्ते वर्षाणि क्लेशकारिणः॥६ ३) १. दूरे। ६) १. तव क्रमाम्भोज। तोमर म्लेच्छने प्राप्त हुए दूधको किस प्रकारसे नष्ट किया, इसकी कथा कही जा चुकी है। अब अज्ञानीने अगुरु चन्दनको पा करके उसे किस प्रकारसे नष्ट किया है, इसकी कथा कही जाती है ॥१॥ मगध देशके भीतर एक प्रसिद्ध गजरथ नामका राजा राज्य करता था। वह शत्रुरूप मदोन्मत्त हाथियोंके कुम्भस्थलको खण्डित करनेके लिए सिंह के समान था ॥२॥ ___क्रीड़ामें अतिशय अनुराग रखनेवाला वह राजा एक दिन उस क्रीड़ाके निमित्तसे नगरके बाहर निकला और सेनाको छोड़कर दूर निकल गया। उस समय उसके साथ दूसरा मन्त्री था ॥३॥ राजाने वहाँ आगे एक सेवकको देखकर मन्त्रीसे पूछा कि यह मनुष्य कौन है तथा वह किसका सेवक और किसका पुत्र है; यह मुझे कहिए ॥४॥ इसके उत्तरमें मन्त्री बोला कि राजन् ! 'हालिक' इस नामसे प्रसिद्ध यह आपके प्रधान हरिका पुत्र व आपका सेवक है । कष्ट सहकर आपके चरण-कमलोंकी सेवा करते हुए इसके बारह वर्ष पूर्ण हो रहे हैं ॥५-६॥ १) डप्य ज्ञानिना । २) ब मगधाविषये, क ड मगधवि; अ जगरथो, ब भीमरथो; क ड इ कुम्भच्छेदन । ४) अ भाषति....ना for वा; ब कथ्यते। ५) ब देव प्रसिद्धो हालि.... स्यापि । ६) अ क ड सत: for सदा।
SR No.006233
Book TitleDharm Pariksha
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
Author
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh
Publication Year1978
Total Pages430
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy