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७
ॐ ह्रीँछ्ल्यू स्वाहा
१० ॐ ह्रीँट्म्ल्यू स्वाहा
१३ ॐ ह्रीँदम्ल्यू स्वाहा
१६ ॐ ह्रीँथ्म्यू स्वाहा
१९ ॐ ह्रीँन्म्ल्यू स्वाहा
२२ ॐ ह्रीँब्ल्यू स्वाहा
२५ ॐ ह्रीँय्म्लयू स्वाहा
२८ ॐ ह्रीँश्ल्यू स्वाहा
३१ ॐ ह्रीँहम्ल्यू स्वाहा
ॐ ह्रीँज्म्ल्यू स्वाहा
११
ॐ ह्रीँठ्ल्यू स्वाहा
१४ ॐ ह्रीँण्म्ल्यू स्वाहा
१७ ॐ ह्रीँद्ल्यू स्वाहा
२० ॐ ह्रीँप्ल्यू स्वाहा
ॐ ह्रीँभ्म्यू स्वाहा
८
२३
९
ॐ ह्रीँझम्ल्यू स्वाहा
१२ ॐ ह्रीँड्म्ल्यू स्वाहा
१५ ॐ ह्रीँत्म्ल्यू स्वाहा
१८ ॐ ह्रीँधूम्र्यू स्वाहा
२१ ॐ ह्रीँफ्ल्यू स्वाहा
२६
२९
२४ ॐ ह्रीँम्म्ल्यू स्वाहा
२७ ॐ ह्रीँव्ल्यू स्वाहा
३० ॐ ह्रीँस्म्ल्यू स्वाहा
ॐ ह्रीँर्फ्यू स्वाहा
ॐ ह्रीँष्म्ल्यू स्वाहा
३२ ॐ ह्रीँक्ष्म्ल्यू स्वाहा
सुभांति थी वधाववा
ॐ ह्रीँनमः क्म्यूभारभ्य-क्ष्म्ल्वर्यू पर्यन्तकूटाक्षरेम्यः स्वाहा | प्रार्थना :- द्वात्रिंशत्कूटवर्णस्था, देवता वलयस्थिताः । ऋषि मण्डलपूजायां, ददातु विजयश्रियम् ।।१ ॥ तृतीयवलयम् ।। त्र्मथ श्री अर्हदाद्यष्टक पूजा II यंत्रमां अष्टप्रकारी पूभ मांडलामां ते ते વર્ણાનુસાર ફળ નૈવેધ.
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