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अथ आह्वानादि आह्वान : (मास्वान मुद्रा) ॐ ह्रीं श्री अनंवलधिनिभान गुरु-मौतमस्वामित्र अत्र पूजन-विधि
महोत्सवे अवतर अवतर । संवौषट् स्थापन : (स्थापन मुद्रा) ॐ हीं श्री अमंलब्धिानिधान गुरुमौसमरासिनु अत्र पूजन-विधि
महोत्सवे तिष्ठ तिष्ठ । ठः ठः सन्निधान : (सविधान मुद्रा) ॐ ह्रीँ श्री पिलब्धिनिधार गरू-गन्निमस्तामिम् अत्र पूजन-विधि
महोत्सवे मम सन्निहितो भव भव । वषट् संनिरोध : (सविरोध मुद्रा) ॐ हीं श्री अमितिलब्धिनिधान गुम-गोलमस्यामम् पूजन-विधि
महोत्सवे पूजां यावद् अत्रैव स्थातव्यम् । अवगुंठन : (Aqj61 मुद्रा) ॐ ह्रीं श्री अनिधिलाचिनिधान गुरु सिस्पिमिन पूजन-विधि
महोत्सवे परेषादृशो भव भव । फट् अंजलि : (लि मुद्रा) ॐ ह्रीं श्री अनिलब्धिनिधामणुस-गीतमास्वामिलाइमा पूजां प्रतीच्छ
प्रतीच्छ नमः श्री गौतमस्वामिने स्वाहा ।