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चोवीशमी पूजा : भक्ति प्रबोधित चमत्कृत जागरूक, हर्षाम्बु निर्भर परिप्लुत रोमकूप ।
जिह्वां पुनामि मुनिसुव्रत तीर्थराज, अद्भूत सुंदर गुणस्तुति कीर्तनेन ।। 24 ।। श्री मुनिसुव्रतस्वामि महाविद्या.. ॐ ह्री श्री परम... समुहजाप.... शनीमंत्र समुह जाप । पच्चीशमी पूजा : जज्ञे भावित मानसा दृढरति, यंत्रावतीर्णे तमः ।,
श्री मुनिसुव्रतमालया परमया, पद्मा सवित्री समे । वृाध्धितस्य मतं श्रितस्य भवतः कल्याणवल्ली सम,
श्री मुनिसुव्रतमालया परमया, पद्मा सवित्री समे ।। 25 ।। श्री मुनिसुव्रतस्वामि महाविद्या.. ॐ ह्री श्री परम... समुहजाप.... शनीमंत्र समुह जाप । छव्वीशीमी पूजा : उत्तमचेतन धर्मसमृध्ध जगत्पते, नित्यानित्य पदार्थ निचय विलसन् मने ।
निज विक्रम जितमोह महोद्भट भूपते, श्री पद्मातनु जात सुजात हरिद्दधुते ।। 26 ।। श्री मुनिसुव्रतस्वामि महाविद्या.. ॐ ह्री श्री परम... समुहजाप.... शनीमंत्र समुह जाप । सत्यावीशमी पूजा : श्री मुनिसुव्रत सुव्रतदेशक सज्जना : कृत सद् गुरू शुभवाक्य सुधारस मज्जना :
ये प्रणमन्ति भवन्त मनन्त सुखाश्रितं, केवल मुज्जवल भाव मखंड मनिंदितम् ।। 27 ।। श्री मुनिसुव्रतस्वामि महाविद्या.. ॐ ह्रीं श्री परम... समुहजाप.... शनीमंत्र समुह जाप ।