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द्वितीयवलयम् ।। ४९ द्राक्षा ने ८ बीजोरा । नमोऽर्हत्०
(१) ॐ हीं अवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-१६) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (२) ॐ ह्रीं कवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (३) ॐ हीं चवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (४) ॐ ही टवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (५) ॐ ह्रीं तवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (६) ॐ ही पवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-५) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (७) ॐ हीं यवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-४) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) (८) ॐ ही शवर्गाय स्वाहा (द्राक्षा-४) नमो अरिहंताणं (बीजोरूं) ॐ ह्रीं अनाहतदेवाय स्वाहा-बोली १६ अनाहतो, पूजन कर, (शर्करालिङ्गA शर्करामेरूथी)