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________________ आगम (०१) “आचार” - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [१], उद्देशक [१], नियुक्ति: [१-६७], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १-१२] प्रत वृत्यंक [१-१२] दीप अनुक्रम [१-१२] श्रीआचा AU(९-६) जैण कारणेण एस्थ आयारी बनिनइ चरण चेव मोक्खस्स मारी, तत्थ ठितो सेसाणि अंगाणि अहिजइ तेण सो पदम कतो, आदिस्थागंग सूत्र त्र- इयाणि गणित्ति 'आयारंमि अहीए' गाहा (१०-६) गणीति गणं बाबारेति तम्हा आयारो भबिस्सइ पढमं गणिठाणं । इयाणि चूणिः पद्मान, परिमाणं, तत्थ 'णवर्षभचेरमहओ अट्ठारसपदसहस्सिओ वेओ'गाहा (११-६) तत्थ णव भवेरा आयारो, तस्स पंच ॥४ ॥ ब्रह्मनिक्षेप चूलाओ, ताओ पुण आपारहितो अज्झयणसंखाए बहु पदग्गेण बहुत्तरियाओ दुगुणा तिगुणा बा, ताओ पुण इमाओ भवंति-एकारस पिंटेसणाओ जाव उग्गहाडमा पढमा चूला, मनमत्तिक्या वितिया, भावणा ततिया, विमोति चउत्था, णिसीह पंचमा चूला। इदाणि समोयारो, नत्थ दवे जहा आमंतणे बहुया, खलगादिसु कवीयादी, पहाणाणुयाणादिसु अरुईतयादिसुसाहुणो, भावे अयमेव | नाणादीण भावाणं समोयारो, तत्थ गाहाभो तिणिण पढियवाओ। (१२, १३, १४-७) इयाणि सारो, तत्थ दवे जहा कोडीसारो देवदतो अहबा समारो बंभो ससारो दधि एवमादि, भावे अयमेव नाणादी भाचो चेव, मुत्ते आयारो सारो, अहवा सबस्सेव सुपना- | णस्य एम आयारो सारो, तत्थ गाहायो 'अंगाणं किंमारो' गाहाओ (१६, १७) दोनि पढियवाओ। इयाणि अंगं, तं चउबिहनामंगं ठवर्णगं दवंग भावंगति, णामठवणाओ गयाओ. दवंगं जहा चउरंगिओ, भावंगं आगमओ जाणओ उबउत्तो, नोआगमओ इमं चैव आयारभाबगं. नेण अहीगागे. इदाणि सुदचे पत्तयपोन्थयलिहियं, भावे इमं चेव, खंधेचउबिहे दवे सचित्तादी || भावे एतसिं चेव नवहं अज्झयणाणं समुदाओ, को य पूण एम भावसुधक्रबंधो?, भष्णइ, बंभचेरा, तेण बंभ णिक्खिचियई 'बंभंमि(मी उ)चउक्क' गाहा ( ) तन्थ ठवगावभं अक्वणिक्वेवादिसु, अहवा भणुप्पत्ती भाणियबा, 'एगा मणुस्सजाई। HAL ||४॥ गाहा ( १९-८) एन्थ उमभमामिस्म पृत्वभवजम्मणअहिसेयचकवहिरायामिसंगाति, तत्थ जे रायअस्मिना ते य खतिया | मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[१] "आचार" जिनदासगणि विहिता चर्णि: *"ब्रह्म' शब्दस्य निक्षेप:
SR No.006201
Book TitleAagam 01 ACHAR Choorni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages388
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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