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________________ निर्मलता आदि के सम्बन्ध में वेधक प्रकाश बिछाकर पुण्यात्माओं को सजग किया । 1 पूज्य श्री की जोरदार धर्मदेशना से पर्वाधिराज हेतु 7 मास खमरण, 3 इक्कीस उपवास, 21 सोलह उपवास, तथा 17 इग्यारह उपवास वाले पुण्यात्मा हुए। श्रा. वि. 12 से पर्वाधिराज की सकल आराधना के लिए लोग उत्साह भरे जुट गये । 65 स्त्री पुरुष चौसठ प्रहरी पोषघ में संयुक्त हुए जिसमें छोटे-छोटे 7/8 बालक तथा 10/15 बालिकायें 64 प्रहरी पोषध में जुड़े । श्रट्ठाई घर के दिन ही 55 स्त्री-पुरुषों अट्ठाई के पच्चखाण लिए । पूज्य श्री की सुन्दर धर्म प्रेरणा से श्री संघ में अनोखा धर्मोल्लास के मध्य में पर्युषण पर्व की सुन्दर आराधना होने लगी । क और भी पूज्य श्री के साथ यदाकदा पूज्य चरित्रनायक श्री के पिता श्री तथा पू. चरित्रनायक श्री के साथ चलते पत्र-व्यवहार के आधार पर पूज्य श्री की तरफ से मिलती उत्कृष्ट धर्मप्रेरणा के फलस्वरूप पू. चरित्रनायक श्री अंतर के भावोल्लास तथा पिता श्री की प्रांतरिक सम्मति भरे सहयोग से कपड़वंज से दुकान के काम के लिए अहमदाबाद जाने का कुटम्बियों को कहकर अहमदाबाद से सीधे श्रा. वि. 8 के लगभग चरित्रनायक श्री बोटाद पूज्य श्री की निश्रा में पर्वाधिराज की चौसठप्रहरी पोषघ के साथ प्राराधना के लिए आ पहुँचे । वृद्ध-पुरुषों के कथनानुसार अभूतपूर्व हुई प्राराधना तथा विविध तपस्याओं के अनुमोदनार्थ धर्मोत्साही श्री संघ के अग्रगयों ने भा. सु. 6 को रथ यात्रा तथा भा. सु. 10 से ६४२
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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