SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ श्री गुरुस्तोत्राष्टकम् ॥ ॥ आर्यावृत्तम् ॥ सुयजोयसंपयाए- निहिनयणं किं दुकत्तिए मुक्के ॥ पढमदिणे संजाए - गुरु णवेमो महुमईए ॥ १ ॥ गुरुबुडूिविजयपासे—सरद्धिणंदिंदुस्रुक्कसियपक्खे ॥ वरसत्तमी गहिया - दिक्खा जेहिं नममि ते हं ॥ २ ॥ विजउत्तरगंभीरा - पण्णासा वल्लहीउरे विहिणा || नहकायणंदचंदे - उज्जासियसत्तमीदियहे ॥ ३॥ वरगुणपयारिहाणं- जेसिं यच्छीअगणिपयं पवरं । पण्णासपयं च तहा - अद्दाइमसियतईयाए ॥ ४ ॥ सिरिभावणयरमज्झे- अद्धिरसंकिंदुवरिससुकसिए ॥ वरपंचमीइ तेहिं - गुरुगुणगंभीरविजएहिं ॥ ५ ॥ आयरिअयं दिष्णं - जेसिं गुणरयणसायरनिहाणं ॥ सुग्गहियणामधिज्जे- ते वंदे मिसूरिंदे ॥ ६ ॥ सम्मग्गनयणदक्खे - उम्मम्गयाण मोहतासाओ ॥ तवगच्छगयणभाणु- धण्णा गुरुमिरिंदे ॥ ७ ॥ पणमंति सुणंति सया - हिओवएस भअंति पयकमलं ॥ गुरवरपयज्जसरणं - इच्छामि भवे भवे मिलउ ॥ ८ ॥
SR No.006174
Book TitleStotra Chintamanistatha Prakrit Stotra Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaypadmasuri
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year
Total Pages344
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy