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श्री विजयपद्मसूरिविरचितः
सिरिजंबूप्पहवगणिं, सुसीलसिरिधूलिभद्दवज्जपहुं || निवकण्हबंधुधीरं, गयसुकुमालं सरेमि सया || २० ॥ अमुत्तं मणगसमणं, सीलविहूसियसुदंसणं वीरं ॥ जिणवालविजय विजय, वंदे तह गागिलाणाहं ॥२१॥ दोवइ सीया पउमा - बई सिवा रोहिणी सई कुंती | सुगुणंजणा सुमद्दा, चंदनमलयागिरिं वंदे ॥ २२ ॥ दमयंतीसीलवई, मिगावई चंदणासुगंधारी ॥ भीमुलसागोरिं, जिट्टाराईमई वंदे || २३ || नंदा भद्दा देवs - सिरिदेवी नम्मया मयण रेहा ॥ तह रेवई जयंती - कलावई सुंदरी वंदे ॥ २४ ॥ जंबूवसुसीमा - पहावर धारिणी सुजिहाओ || - लक्खमणा रुप्पीणी - वंदेऽहं चिल्लणं सययं ॥ २५ ॥ तह पुष्फचूलमणिसं - मणोरमा मयणसुंदरीसुगुणा ॥ वंदे हायसमए, रिसिदत्तासच्चभामाओ ॥२६॥ वेणाभूयारेणा - सेणाजक्खा सुजक्खदिण्णाओ || पणमामि भूयदिणं - सग बहिणी धूलि दस्स ||२७|| वरचिंतामणि तुल्ले - तित्थयराई पहाणगुणक लिए ॥ पणमंतो सिरिसंघो - संचियदुरियाई नासे ॥ २८ ॥ पावर विला रिद्धि - मंगलसिरिसिद्धिलद्धिकल्लाणं ॥ ता णिच्चं पभणिज्जं - सोयव्वं सयलसंवेणं ॥ २९ ॥
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