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________________ ६८ १०६ १२. वीर्य ८५-८६ १. बाल-वीर्य : पंडित-वीर्य ८५ २. ज्ञानी : अज्ञानी ८६ १३. दुःख-हेतु ६०-६७ १. तृष्णा और दुःख ६० २. विषय और विनाश ६१ ३. संसार-परम्पराः मोक्ष-साधना ६५ ४. राग-द्वेष-मोह क्षय-विधि ६६ १४. दृष्टान्त ६८-१०५ १. एलक २. गली-गर्दभ ३. दिग्मूढ़ १०१ ४. हार-जीत (काकिणी, १०३ तीन् वणिक्, जुआरी) १५. समाधि १०६-१२२ १. चतुः समाधि २. स्वाध्याय १०७ ३. तप ११० ४. ध्यान ११७ ५. निष्पत्ति १२१ १६. पाप-विरति १२३-१२५ १. पाप १२३ २. आत्म-निरीक्षण : पाप वर्जन १२५ १७. ज्ञान-कण १२६-१३३ १. ज्ञान-कण १२६ २. शिक्षा-कण १८. हिंसा-विरति १३४-१४४ १. हिंसा की कसौटी १३४ २. हिंसा त्याज्य क्यों ? १३५ ३. अहिंसा ४. अहिंसा की महिमा १४१ ५. यतना धर्म १४२ १६. मृषावाद-विरति १४५-१४८ १. मृषावाद १४५ २. सत्यवादी-असत्यवादी १४७ २०. अदत्तादान-विरति १४६-१५० २१. अब्रह्मचर्य-विरति १५१-१५५ १. ब्रह्मचारी और __उपलब्धियाँ १५१ २. ब्रह्मचर्य-साधना-सूत्र १५२ २२. परिग्रह-विरति १५६-१६१ १. धन का अभिशाप १५६ २. परिग्रही बनाम । निष्परिग्रही १५८ २३. त्रिशल्य १६२-१६६ १. शल्य-दोष १३२ २. मिथ्यात्व-शल्य १६३ ३. माया-शल्य १६५ ४. निदान-शल्य १६६ २४. स्व-श्लाघा : पर-निन्दा १७०-१७४ १. आत्म-प्रशंसा १७० २. पर-निंदा १७२ ३. उपेक्षा धर्म १७३ २५. संगति १७५-१७८ १. संगति-फल १७५ २. संगति-योग्य १७६ २६. सुलभ-दुर्लभ १७६-१८० १. बोधि : दुर्लभ-सुलभ १७६ २. सुगति : सुलभ-दुर्लभ १८० २७. हेतु-विज्ञान १८१-१८४ १. पुण्य-बंध विज्ञान १८१ २. पर्याय-हेतु बोध १८२ ३. कषाय-हेतु बोध १८३ ४. हिंसा-हेतु बोध १८४ २८. लाक्षणिक १८५-२०७ १. त्यागी १८५ २. तीव्र-मंद कषायी ३. मोक्षार्थी ૧૮ ४. वीतराग ५. योगी १६१ ६. सम्यग्दृष्टि estseebeccsbenissluisella - १३२ १३६ १८६ १८८ १६३
SR No.006166
Book TitleMahavir Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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